एक गाँव में, जहाँ समय की धारा ने खुली रोज़ बहना था, एक सच्चा ज्ञानी नामक व्यक्ति रहता था। उसका नाम रामु ही था। रामु को गाँव वालों की समस्याओं का समाधान ढूंढने में बड़ा रुचि था।
एक दिन, गाँव में अचानक एक समस्या उत्पन्न हुई। एक बड़ा बाघ गाँव के पास आ गया और लोगों को डरावने लगा। लोग घरों में डर से चिपके रहने लगे और उन्हें बाघ के आने से बचाने के लिए उनके पास उपाय नहीं था।
रामु को इस समस्या को हल करने का ज़िम्मा सौंपा गया। वह बाघ के पास गया और धीरे-धीरे उसके पास पहुंचा। बाघ भी उसे देख लिया और उसे देखकर आगे बढ़ा नहीं। बजाय उसके वहाँ स्थिर रहकर बाघ के साथ बोलने की कोशिश की।
रामु ने धीरे-धीरे बाघ से बातचीत शुरू की और उसे समझाया कि वह लोगों को किसी भी तरह का हानि नहीं पहुंचाएगा। बाघ ने रामु की बात सुनी और उसके वचन पर भरोसा किया।
बाघ ने गाँव के पास से दूर चला गया और वहाँ अपना आश्रय बनाया। लोगों को बाघ के बारे में रामु ने सच्चाई बताई और उन्हें उस पर भरोसा करने के लिए प्रेरित किया।
इस घटना के बाद, गाँव में खुशियाँ और शांति की वातावरण फिर से स्थापित हो गई। लोग बाघ को अपना साथी मानने लगे और वे फिर से खुशहाल और समृद्धि से भरा जीवन जीने लगे।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चे ज्ञानी को हर समस्या का समाधान ढूंढने की क्षमता होती है, और वह अपने साथी के साथ मिलकर हर मुश्किल को पार कर सकता है।