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जीपीएस सिस्‍टम क्‍या है और इसका इस्‍तेमाल कैसे किया जाता है What is GPS System and How is it Used

जीपीएस सिस्‍टम क्‍या है What is GPS System

जीपीएस (GPS) का पूरा नाम Global Positioning System है जीपीएस आमतौर पर एक Satellite Based Radio Navigation System है जिसका इस्‍तेमाल लोकेशन को जानने के लिए किया जाता है जैसे अगर आप किसी समस्‍या में फंस गए हैं तो आप Emergency Number के जरिए मदद ले सकते हैं जो आजकल सभी मोबाइल फोन में होते हैं

जीपीएस का इतिहास History of GPS

जीपीएस को सबसे पहली बार अमेरिकी सरकार के द्वारा Military Purpose के लिए सन् 1973 में एक प्रोजेक्‍ट के रूप में लॉन्‍च किया गया था इस प्रोजेक्‍ट के तहत पहली Satellite सन् 1978 में लॉन्‍च की गई थी उस समय जीपीएस का इस्‍तेमाल केवल अमेरिकी मिलिट्री के द्वारा ही किया जाता था इसकी मदद से अमेरिकी मिलिट्री दुश्‍मन देशों के वायुयान और उनकी मिलिट्री पर सटीक निशाना लगाकर मार गिराती थी

इसके बाद सन् 1983 में एक फ्लाइट जो रूस की ओर जा रहा था उस समय हवाईजहाज में जीपीएस सिस्‍टम नहीं हुआ करते थे क्‍योंकि जीपीएस केवल अमेरिकी मिलिट्री के लिए बनाया गया था इस हवाईजहाज में तकरीबन 269 लोग जा रहे थे लेकिन ये प्‍लेन गलती से रूस के ऐसे एरिया में चला गया जहां उसे नहीं जाना चाहिए था मतलब रूस के प्रतिबंद्धित क्षेत्र में चला गया था जिसे रूस के द्वारा नष्‍ट कर दिया गया था इस घटना के बाद उस समय के अमेरिका के राष्‍ट्रपति Ronald Regan ने फैसला किया कि अब जीपीएस को पूरे विश्‍व में Publically Provide कराया जाएंगा

लेकिन उस समय पूरे विश्‍व के लिए तकरीबन 24 Satellite की आवश्‍यकता थी इसलिए जीपीएस को आम लोगों के लिए उपलब्‍ध कराने के लिए अमेरिकी सरकार के द्वारा पहली Satellite 14 फरवरी सन् 1989 को और 24 वीं Satellite सन् 1994 को लॉन्‍च की गई थीं, सन् 1995 में पहली बार जीपीएस को आम लोगों के लिए लिए ओपन किया गया था लेकिन उस वक्‍त इसकी Accuracy और Quality इतनी Perfect नहीं थी

सन् 2000 तक अमेरिकी सरकार ने जीपीएस को और ज्‍यादा बेहतर बनाने के लिए अनेक प्रयास किए थे इसके नतीजे स्‍वरूप आज जीपीएस पूरी दुनिया में ठीक तरह से काम करने लगा है

जीपीएस काम कैसे करता है How GPS Works

आपके स्‍मार्टफोन या किसी भी जीपीएस यूनिट में एक जीपीएस Receiver होता है जो Satellite के द्वारा भेजे गए सिग्‍नलों को रिसीव करता है आपको ये तो पता होगा कि प्रथ्‍वी के अंतराल में घूमने वाली Satellite एक समय के बाद सिग्‍नल भेजती है इन Satellites में सिग्‍नल और उसका समय पहले से तय होता है इन Satellites में समय की सही गणना के लिए Atomic Clock का इस्‍तेमाल किया जाता है ये ऐसी Clock होती है जो लाखों सालों तक सही समय बता सकती है

इन Clocks के खराब होने के Chances बहुत कम होते हैं जब इन Satellite के सिग्‍नल किसी जीपीएस रिसीवर के संपर्क में आते हैं तो रिसीवर उन सिग्‍नलों को री‍ड करता है, इसमें रिसीवर यह भी पता कर लेता है कि सिग्‍नल जिस Satellite से भेजे गए है वो कितनी दूरी पर स्थित है अगर आपका डिवाइस चार या उससे ज्‍यादा Satellite से सिग्‍नल प्राप्‍त करने में सफल हो जाता है तो आपको आपकी Current Location पता लग जाती है

एक Normal जीपीएस डिवाइस जिसका इस्‍तेमाल काफी समय से नहीं किया गया है वो भी अपनी लोकेशन को दिखाने में 15 से 20 मिनट का समय लेता है लेकिन अगर आप अपने स्‍मार्टफोन में जीपीएस का इस्‍तेमाल करते हैं तो आपको आपकी लोकेशन कुछ ही सेकेण्‍ड में पता चल जाती है ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि मोबाइल फोन में A-GPS या Assistant GPS का इस्‍तेमाल किया जाता है ये भी जीपीएस का ही रूप होता है पर ये इंटरनेट का इस्‍तेमाल करके लोकेशन का जल्‍दी पता लगा लेता है

भारत में जीपीएस की परिस्थिति GPS situation in India

आज के समय में जीपीएस के अलावा Glonass ही ऐसा नेविगेशन सिस्‍टम है जो वर्ल्‍डवाइड अपनी सेवाएं प्रदान करता है अब तो भारत ने भी अपना नेविगेशन सिस्‍टम बना लिया गया है अभी ये सिस्‍टम भारत में ही उपलब्‍ध है और ये बॉर्डर एरिया से 1500 किलोमीटर एरिया तक कवरेज दे सकता है आने वाले समय में भारत भी अपने नेविगेशन को Strong बनाने के लिए बहुत से प्रोजेक्‍टों पर काम कर रहा है

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